बड़ी बहू ने अनुपमा को बुलाकर कहा, '' यह लो! तुम्हारे मन चाहे वर को पकड़ लिया है।”
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लुई: यह लो! लुई: भागो! लुई: मैं तुम चलाने के लिए कह रहा हूँ! लुई: चलो, भागो! वायलेट: लुई, तुम क्या कर रहे हैं?!
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बड़ी बहू ने अनुपमा को बुलाकर कहा, '' यह लो! तुम्हारे मन चाहे वर को पकड़ लिया है।” अनुपमा लज्जापूर्वक थोड़ा हंसती हुई बोली, '' यह तो मैं जानती थी! '' '' किस तरह जाना? चिट्ठी पत्री चलती थी क्या?” '' प्रेम अन्तर्यामी है! हमारी चिठ्ठी पत्री हृदय में चला करती है।” '' धन्य हो, तुम जैसी लड़की!” अनुपमा के चले जाने पर बड़ी बहू ने धीरे धीरे मानो अपने आप से कहा,